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Akbar Road

ebook


चूहे उन छोटी-छोटी महामारियों पर सिर पटक रहे थे जिनसे एक गाँव को कुछ दिनों के लिए खतरा था। सदियों, संस्कृतियों और पीढ़ियों को उजाड़ने वाली मुगल कालीन महामारियों को भाँपने में चूहों का संवेदी तंत्र भी विफल हो गया। पुश्तैनी व्यापारियों से छीन कर वस्त्र उद्योग को जबरन मुग़ल शासन के नियंत्रण में ले लिया गया। रुष्ट व्यापारी आर्थिक विनाश के कगार पर खड़े थे। मकदूम को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। उसकी जवान बेटी इन्तिसार अनाथ हो गई, माँ पहले ही मर चुकी थी। उधर, मुग़ल सल्तनत के अफीमची वारिस और मेहरुन्निसा के ठुकराए हुए प्रेमी सलीम को इन्तिसार की आँखों का रंग इसलिए पसंद है क्योंकि वह मेहरुन्निसा की आँखों के रंग से हू-ब- हू मिलता है। सरजू, इन्तिसार का दूसरा आशिक़ क़त्ल के मुक़दमे में सज़ा का इंतज़ार कर रहा है। आगरा कोतवाली के अफसर की हत्या के इलज़ाम में उसकी फाँसी तय है। पिता अकबर के विरुद्ध विद्रोह के उद्देश्य से सेना जुटाने के लिए उसे सलीम को धन की आवश्यकता है जो सिर्फ सूरत का व्यापारी वीरजी सेठ दे सकता है पर उसके दो वफादार सहयोगियों को सलीम पहले ही मौत के घाट उतार चुका है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो उस एक पल के इंतज़ार में हैं जब वे मुग़ल हुकूमत से अपने ज़ख्मों का हिसाब बराबर करेंगे। पर जुल्मी हुकूमत से टकराना मुट्ठी भर हताश लोगों के बस की बात नहीं। 'मुगल चौक' मुग़ल सल्तनत के दमन के खिलाफ़ तीन पीढ़ियों के व्यक्तिगत साहस की कहानी है। एक ऐसी लड़ाई जिसमें उनकी हार तय है; जिसमें वे प्रेम, निष्ठा और हवस के धागों से जुड़े हुए हैं तो वहीं कपट, षड्यंत्र, लोभ और सत्ता की कटार से कटे हुए भी हैं।


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Publisher: Anjuman prakashan

OverDrive Read

  • Release date: June 10, 2021

EPUB ebook

  • File size: 207 KB
  • Release date: June 10, 2021

Formats

OverDrive Read
EPUB ebook

Languages

Hindi


चूहे उन छोटी-छोटी महामारियों पर सिर पटक रहे थे जिनसे एक गाँव को कुछ दिनों के लिए खतरा था। सदियों, संस्कृतियों और पीढ़ियों को उजाड़ने वाली मुगल कालीन महामारियों को भाँपने में चूहों का संवेदी तंत्र भी विफल हो गया। पुश्तैनी व्यापारियों से छीन कर वस्त्र उद्योग को जबरन मुग़ल शासन के नियंत्रण में ले लिया गया। रुष्ट व्यापारी आर्थिक विनाश के कगार पर खड़े थे। मकदूम को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। उसकी जवान बेटी इन्तिसार अनाथ हो गई, माँ पहले ही मर चुकी थी। उधर, मुग़ल सल्तनत के अफीमची वारिस और मेहरुन्निसा के ठुकराए हुए प्रेमी सलीम को इन्तिसार की आँखों का रंग इसलिए पसंद है क्योंकि वह मेहरुन्निसा की आँखों के रंग से हू-ब- हू मिलता है। सरजू, इन्तिसार का दूसरा आशिक़ क़त्ल के मुक़दमे में सज़ा का इंतज़ार कर रहा है। आगरा कोतवाली के अफसर की हत्या के इलज़ाम में उसकी फाँसी तय है। पिता अकबर के विरुद्ध विद्रोह के उद्देश्य से सेना जुटाने के लिए उसे सलीम को धन की आवश्यकता है जो सिर्फ सूरत का व्यापारी वीरजी सेठ दे सकता है पर उसके दो वफादार सहयोगियों को सलीम पहले ही मौत के घाट उतार चुका है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो उस एक पल के इंतज़ार में हैं जब वे मुग़ल हुकूमत से अपने ज़ख्मों का हिसाब बराबर करेंगे। पर जुल्मी हुकूमत से टकराना मुट्ठी भर हताश लोगों के बस की बात नहीं। 'मुगल चौक' मुग़ल सल्तनत के दमन के खिलाफ़ तीन पीढ़ियों के व्यक्तिगत साहस की कहानी है। एक ऐसी लड़ाई जिसमें उनकी हार तय है; जिसमें वे प्रेम, निष्ठा और हवस के धागों से जुड़े हुए हैं तो वहीं कपट, षड्यंत्र, लोभ और सत्ता की कटार से कटे हुए भी हैं।


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