आज न तो उर्दू के ग़ज़लकार अपनी ग़ज़लों में हिंदी के शब्दों से परहेज़ करते हैं और न ही हिंदी के ग़ज़लकार उर्दू के शब्दों से दूरी बना रहे हैं। अब ग़ज़ल सिर्फ़ ग़ज़ल है, जिसमें प्रेम है, प्यास है, भूख है, सामाजिक विसंगतियाँ हैं, बेरोजगारी है, दु:ख है, संतृस है, हर्ष है, उल्लास है... यानी जीवन की सभी अच्छी-बुरी स्थितियों को ग़ज़ल अपने आप में समेटे हुए है। ग्राम रेडी हिम्मतपुर खनियाँधाना जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश में जन्मे ऊर्जावान और अति उत्साही ग़ज़लकार इंद्रसिंह अहिरवार 'अरसेला' आज की ज़मीन पर जीवन की सारी अच्छी-बुरी मन:स्थितियों का लेखा-जोखा लेकर अपनी ग़ज़ल-संग्रह 'अंधा चिराग़' के साथ उपस्थित हुए हैं।.
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