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Krantidoot

ebook

काव्य कृति ''क्राँतिदूत'' एक जीवटविलक्ष्ण प्रतिभा के धनी व्यक्ति के चरित्र का चित्रण है, जिसने अपना सारा जीवन देश की आजादी, लोंगों, देश को, आतंक, दमन, भय से मुक्ति दिलाने समर्पित कर दिया था बिना स्वार्थ, पद की लालसा के मानवीय धर्म को आगे रखकर ताउम्र संघर्ष किया। फिरंगियों को देश से खदेड़ने के लिये स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। चम्बल के खूँखार डाकुओं से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिये डाकुओं का उन्होंने आत्म सर्मपण कराया । सत्ता स्वार्थ की खातिर जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर तानाशाह बनकरदेष के लोगों के उपर जुल्म ढ़ाये, मनमानी का जो दौर चलाया कहर बरपाया अपने संम्बंधों को दरकिनार करते हुए इंदिरा गांधी को सबक सिखाने समग्र क्राँति की अगुवाई की इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने में प्रमुख भूमिका निभाई ।''क्राँतिदूत'' बनकर उभरे । वे चाहते तो 1964 में फिर 1977 में देश का प्रधानमंत्री बन सकते थे अनुरोध पर कहा मैंने पद की लालसा में कभी काम नहीं किया साबित किया'' पद लोलुप नहीं हैं जयप्रकाश' 'यही खासियत उनको औरों से अलग पहचान देती है, शिखर पर रखती है । जुल्म और आतंक से दबाने जब भी करे कोशिश कोई आपातकाल की याद दिलाना कहा था उसने।.


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Publisher: Anjuman prakashan

Kindle Book

  • Release date: May 22, 2021

OverDrive Read

  • ISBN: 9789388556255
  • Release date: May 22, 2021

EPUB ebook

  • ISBN: 9789388556255
  • File size: 393 KB
  • Release date: May 22, 2021

Formats

Kindle Book
OverDrive Read
EPUB ebook

subjects

Fiction Poetry

Languages

Hindi

काव्य कृति ''क्राँतिदूत'' एक जीवटविलक्ष्ण प्रतिभा के धनी व्यक्ति के चरित्र का चित्रण है, जिसने अपना सारा जीवन देश की आजादी, लोंगों, देश को, आतंक, दमन, भय से मुक्ति दिलाने समर्पित कर दिया था बिना स्वार्थ, पद की लालसा के मानवीय धर्म को आगे रखकर ताउम्र संघर्ष किया। फिरंगियों को देश से खदेड़ने के लिये स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। चम्बल के खूँखार डाकुओं से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिये डाकुओं का उन्होंने आत्म सर्मपण कराया । सत्ता स्वार्थ की खातिर जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर तानाशाह बनकरदेष के लोगों के उपर जुल्म ढ़ाये, मनमानी का जो दौर चलाया कहर बरपाया अपने संम्बंधों को दरकिनार करते हुए इंदिरा गांधी को सबक सिखाने समग्र क्राँति की अगुवाई की इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने में प्रमुख भूमिका निभाई ।''क्राँतिदूत'' बनकर उभरे । वे चाहते तो 1964 में फिर 1977 में देश का प्रधानमंत्री बन सकते थे अनुरोध पर कहा मैंने पद की लालसा में कभी काम नहीं किया साबित किया'' पद लोलुप नहीं हैं जयप्रकाश' 'यही खासियत उनको औरों से अलग पहचान देती है, शिखर पर रखती है । जुल्म और आतंक से दबाने जब भी करे कोशिश कोई आपातकाल की याद दिलाना कहा था उसने।.


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