यह भावगीता खासकर युवाओं के लिये ही तैयार की गई है, वैसे पढ़ने की किसी को मनाही नहीं है। मेरी नज़र में आज की युवा पीढ़ी, कहीं ज्यादा व्यवहारिक, जिम्मेदार, कर्त्तव्यनिष्ठ है। वह बाहर से आधुनिकता में सराबोर रहकर भी अंदर अपनी संस्कृति व मूल्यों की पहचान संजोए हुए है।
उपलब्ध संस्कृत गीताओं में जो हिंदी अनुवाद है वह एक-एक श्लोक का अर्थ अलग-अलग होने से, जन-सामान्य (जिसमें हमेशा मैं भी शामिल रही हूँ) को समग्र रूप से समझने में कठिनाई आती है। इसलिये इस 'भावगीता' में श्लोक का अर्थ, भावार्थ के आधार पर किया गया है। कहीं एक-दो श्लोकों का अनुवाद एक साथ किया गया है, कहीं अधिक का।