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Ishq ke assi ghat

ebook

सुनो ना, इश्‍क गर्मियों की ठंडी बयार है तो कभी सीना चाक करता चक्रवात भी। क्‍या कहा, झूठ है यह? चलो घुमा लाएं 'इश्‍क के अस्‍सी घाट'। यह जो कहीं दीप जले कहीं दिन वाला कॉन्‍सेप्‍ट है न इसको कभी एक ही स्‍क्रीन पर फील किया है? नहीं, फ‍िर क्‍या जिंदगी जिये हो जनाब। चलो आज आपको सैर करा लाते हैं बनारस के उन घाटों की जहां हर कोने-खोपचे में इश्‍क या इश्‍क सरीखी कोई चीज किसी को आबाद तो किसी को बर्बाद कर रही होती है। कहीं आंसुओं का सैलाब बह रहा होता है तो कहीं इश्‍क की दरिया इठला रही होती है। कुछ नौसिखिया से इश्‍कजादे-इश्‍कजादियां वहां इन दोनों को एक साथ देखकर चाय की चुस्कियों के बीच गंगा की लहरों पर किनारा तलाश रहे होते हैं। अब क्‍या है ना, इश्‍क के रंग और रूप की वैराइटी बहुत है कलरचार्ट के रंगों की तरह। एक शेड ऊपर या एक नीचे भी हो जाता है तो इश्‍क का नया रंग बन जाता है। 'इश्‍क के अस्‍सी घाट' के लेखक अभिषेक शर्मा ने इन्‍हीं अलहदा रंगों को साल दर साल गंगा के दूर तक फैले घाटों से लेकर डूबते-उतराते, बनते-बिगड़ते, चूमते - लजाते प्रेम पगी संस्‍कृति की अल्‍हड़ता की सैर आपको घर बैठे ही कराने का प्रयास किया है। घाट दर घाट इश्‍क के अजब अनोखे ठाठ और रंगों के शाब्दिक पैनोरमा में डूबकर महसूस कीजिए 'इश्‍क के अस्‍सी घाट' को।


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Publisher: Anjuman prakashan

Kindle Book

  • Release date: August 28, 2021

OverDrive Read

  • Release date: August 28, 2021

EPUB ebook

  • File size: 274 KB
  • Release date: August 28, 2021

Formats

Kindle Book
OverDrive Read
EPUB ebook

subjects

Fiction Romance

Languages

Hindi

सुनो ना, इश्‍क गर्मियों की ठंडी बयार है तो कभी सीना चाक करता चक्रवात भी। क्‍या कहा, झूठ है यह? चलो घुमा लाएं 'इश्‍क के अस्‍सी घाट'। यह जो कहीं दीप जले कहीं दिन वाला कॉन्‍सेप्‍ट है न इसको कभी एक ही स्‍क्रीन पर फील किया है? नहीं, फ‍िर क्‍या जिंदगी जिये हो जनाब। चलो आज आपको सैर करा लाते हैं बनारस के उन घाटों की जहां हर कोने-खोपचे में इश्‍क या इश्‍क सरीखी कोई चीज किसी को आबाद तो किसी को बर्बाद कर रही होती है। कहीं आंसुओं का सैलाब बह रहा होता है तो कहीं इश्‍क की दरिया इठला रही होती है। कुछ नौसिखिया से इश्‍कजादे-इश्‍कजादियां वहां इन दोनों को एक साथ देखकर चाय की चुस्कियों के बीच गंगा की लहरों पर किनारा तलाश रहे होते हैं। अब क्‍या है ना, इश्‍क के रंग और रूप की वैराइटी बहुत है कलरचार्ट के रंगों की तरह। एक शेड ऊपर या एक नीचे भी हो जाता है तो इश्‍क का नया रंग बन जाता है। 'इश्‍क के अस्‍सी घाट' के लेखक अभिषेक शर्मा ने इन्‍हीं अलहदा रंगों को साल दर साल गंगा के दूर तक फैले घाटों से लेकर डूबते-उतराते, बनते-बिगड़ते, चूमते - लजाते प्रेम पगी संस्‍कृति की अल्‍हड़ता की सैर आपको घर बैठे ही कराने का प्रयास किया है। घाट दर घाट इश्‍क के अजब अनोखे ठाठ और रंगों के शाब्दिक पैनोरमा में डूबकर महसूस कीजिए 'इश्‍क के अस्‍सी घाट' को।


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